#27. अपने जीवन का अर्थ: हम स्वयं गढ़ते हैं
नमस्ते दोस्तों, आज एक ऐसे गहरे विचार पर बात करते हैं जो हमें अपनी ज़िंदगी को एक नई दृष्टि से देखने का मौका देता है: जीवन का कोई पूर्वनिर्धारित अर्थ नहीं है, आप ही इसे अर्थ देते हैं। जीवन का अर्थ वही है जो आप इसे देते हैं। जीवित रहना ही अपने आप में अर्थ है। यह बात शायद थोड़ी अमूर्त (abstract) लग सकती है, लेकिन यह बहुत शक्तिशाली है। मैं सोचता था कि ज़िंदगी का कोई बड़ा, छुपा हुआ मक़सद होगा जिसे हमें खोजना है। मैं सोचता था कि 'मुझे अपनी ज़िंदगी का मक़सद ढूंढना है' या 'जब मुझे मेरी ज़िंदगी का अर्थ मिल जाएगा, तभी मैं खुश हो पाऊँगा।' लेकिन शायद ज़िंदगी कोई रहस्यमयी पहेली नहीं है जिसका कोई एक ही, तयशुदा जवाब हो। ज़िंदगी एक खाली कैनवस की तरह है, और हम ही वो कलाकार हैं जो उस पर रंग भरते हैं। इसका अर्थ कहीं बाहर नहीं है, बल्कि हमारे अंदर है, हमारी पसंद, हमारे कर्मों और हमारे अनुभवों में है। जीवित रहना ही अपने आप में एक अद्भुत अवसर है, और इसी अवसर को हम जो अर्थ देते हैं, वही हमारी ज़िंदगी का अर्थ बन जाता है। अर्थ की तलाश नहीं, अर्थ का निर्माण अगर आप अपने आस-पास देखेंगे, तो पाएंगे क...